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Hindi shayari on zameer

 



इंसान की पहचान तो दौलत से होने लगी है

ज़मीर की कीमत ही क्या रह गई है आज

कसमे वादे निभाने वाले की कोई कदर नहीं

झूठे लोग ही कर रहे हैं राज

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