हालातों ने कुछ यूँ रचा गजब का खेल की गायब ही हो गया अपनो में से अपनापन चेहरे पे सजी …
ना जीत की खुशी ना किरदार पे दाग कुछ नहीं टिकता हमेशा के लिए तो उलझ के बेफिजूल के सोच…
दगा देके अपनी सारी परेशानियों को अपने आप को थोड़ा सुकून की नींद के हवाले करो दो वजह …
लाख खामियों से सजी हो भले खुद की ज़िन्दगी पर उठाना नहीं छोड़ते दूसरों के तरफ उंगली प…
सब डूबे चले जा रहे हैं स्वार्थ के नदी में जैसे सही गलत से यहाँ किसीका कोई नाता नही द…
चालबाज़ों की यहाँ होती है तारीफ और बेरहमी से रौंदा जाता है मासूम दिलों को दिखावे की दीव…
बेहतर इंसान होते हैं यह मासूम दिल वाले पर होती है बदतर इनकी नसीब वक़्त उनसे करती रहती…
मोह मे आके झूठी खुशियों के घुमा मत देना रिश्तों की चाबी हो भले तुम्हारे पास दौलत का …
झलक जाती है सबकी नियत ज़िन्दगी के आईने मे फिर क्यों इतना मसक्कत अपने ढोंग को सच जताने…
बेवजह के सोच मे रहते हैं उलझे और गंवाते हैं बड़े शौक से कीमती लम्हो को क्या इतना मुश्…
हार जीत के उथल पथल में गुज़र जाता है ज़िन्दगी का सफर सुकून से रूबरू कैसे होते जहाँ जज़्बा…
क्यों हर लम्हा उलझा रहता है उन पुराने ज़ख्मो में सुकून से यह बैर कैसा है दिल का कब पह…
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