तेरी सूरत देखूँ चाहे जितनी बार
एक अनोखी नूर झलकती है हर बार
यह असर है तेरी चाहत का
की तेरे इश्क़ में रहता हूँ हरदम बीमार
तेरी सूरत देखूँ चाहे जितनी बार
एक अनोखी नूर झलकती है हर बार
यह असर है तेरी चाहत का
की तेरे इश्क़ में रहता हूँ हरदम बीमार
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