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Hindi shayari on child rape

 



दफ़न हो जाती सिसकियाँ चार दीवारों में

जब कोई सगा ही हाथ डालता है घर के बेटियों पे

अपने खून के दर्द को करके अनदेखा

कभी कभी अपने ही झोंक देते है हमें खामोशी की बेड़ियों में

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