दिखती है मुझे रब की झलक
जब भी गूंजती है तेरे झुमके की खनक
चाहे इसे तुम इश्क़ कह लो या गुनाह
पर अब तो तुम ही हो मेरी फ़लक
दिखती है मुझे रब की झलक
जब भी गूंजती है तेरे झुमके की खनक
चाहे इसे तुम इश्क़ कह लो या गुनाह
पर अब तो तुम ही हो मेरी फ़लक
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